Grand Salute to the Grandmaster
#Blog post 33 काश मेरी ज़िंदगी में सरहद की शाम आए काश मेरी ज़िंदगी वतन के काम आए ना ख़ौफ़ है मौत का और ना आरज़ू है जन्नत की मगर जब कभी ज़िक्र हो शहीदों का काश मेरा भी नाम आए, काश मेरा भी नाम आए जब कोई पूछे मेरे बारे में, तो मेरी ये पहचान लिख देना उठाना मेरा कमांडो डैगर और छाती पे हिंदुस्तान लिख देना कोई पूछे पागल था वो कौन ? तो भगत सिंह क्रांतिकररिओं का चेला और इंकलाब का गुलाम लिख देना और बचा हो जो जिस्म में लहू मेरे निकाल लाओ उसे फेकना ज़मीन पे और "माँ तुझे सलाम लिख देना" । यही परिचय है था और रहेगा । We may have different wings and different subjects but we belong to one college and that college is " भारत" ना हिंदुओं से ना मुसलमानो से इस मुल्क को तकलीफ है गद्दारों और बेईमानो से । जिन्हें हम हार समझ बैठे थे, गला अपना सजाने को वही अब नाग बन बैठे हमहि को काट खाने को ।